
दरभंगा, 20 दिसम्बर 2025: जिला पदाधिकारी श्री कौशल कुमार की अध्यक्षता में पराली जलाने और फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर एक समीक्षात्मक बैठक समाहरणालय में आयोजित की गई। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी, उप-निदेशक कृषि अभियंत्रण, प्रगतिशील कृषक और कृषि यंत्र विक्रेता उपस्थित रहे।
बैठक के दौरान किसानों ने कंबाइन हार्वेस्टर के इस्तेमाल के बाद खेतों में धान की पराली एवं ठुढ़ अवशेषों के बचने से गेहूं की बुआई में देरी होने की समस्या उठाई। उन्होंने कहा कि बुआई समय पर न होने से उत्पादन प्रभावित होता है, जिसके चलते कई किसान पराली जलाने के विकल्प अपनाते हैं, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति और पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
जिला कृषि पदाधिकारी और उप-निदेशक कृषि अभियंत्रण ने किसानों को रोटरी मल्चर, सुपर सीडर, बेलर और हैप्पी सीडर जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा इन यंत्रों की खरीद पर 80% तक अनुदान उपलब्ध है। इसके अलावा, कंबाइन हार्वेस्टर की जगह रीपर कम बाइंडर का इस्तेमाल करके भी फसल अवशेष प्रबंधन किया जा सकता है।
जिलाधिकारी ने किसानों से अपील की कि खेतों में फसल अवशेष जलाने के बजाय बेलर मशीन, वर्मी कंपोस्ट और मिट्टी में मल्चिंग जैसी पद्धतियों का प्रयोग करें। उन्होंने चेतावनी दी कि पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु और केंचुआ मर जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। उन्होंने किसानों को स्ट्रा बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइज़र ड्रिल, रीपर कम बाइंडर और रोटरी मल्चर का उपयोग करके स्थायी कृषि पद्धति अपनाने का सुझाव दिया।
इस बैठक में किसानों और कृषि यंत्र विक्रेताओं को फसल अवशेष प्रबंधन के आधुनिक तरीकों से अवगत कराते हुए सतत कृषि और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया।






















